Saturday, 28 September 2013

SADHANA AND SAHAJA

  • SADHANA AND SAHAJA

    Meditation is your true nature now. You call it meditation, because there are other thoughts distracting you. When these thoughts are dispelled, you remain alone, i.e., in the state of meditation free from thoughts; and that is your real nature which you are now attempting to gain by keeping away other thoughts. Such keeping away of other thoughts is now called meditation. When the practice becomes firm, the real nature shows itself as the true meditation.
    Other thoughts arise more forcibly when you attempt meditation.

    There was immediately a chorus of questions by a few others.

    Sri Maharshi continued: Yes, all kinds of thoughts arise in meditation. It is but right. What lies hidden in you is brought out. Unless they rise up how can they be destroyed? They therefore rise up spontaneously in order to be extinguished in due course, thus to strengthen the mind.
    - Talks 310
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  • भविष्य का दूसरा नाम है संघर्ष। … यदि ह्रदय में आज कोई भी इच्छा होती है और यदि पूर्ण नहीं हो पाती तो ह्रदय भविष्य की योजना बनाता है…। भविष्य में इच्छा पूर्ण होगी ऐसी कल्पना करता रहता है…. किन्तु जीवन ना ही भविष्य में है ना ही अतीत में। … जीवन तो इस क्षण का नाम है.… अर्थात इस क्षण का अनुभव ही जीवन का अनुभव है.… पर हम ये जानते हुए भी इतना सा सत्य समझ नहीं पाते,,,,, या तो हम बीते हुए समय के स्मरणों को घेर कर बैठे रहते हैं,,, या फिर आने वाले समय के लिए हम योजनाएँ बनाते रहते हैं और जीवन …………… जीवन बीत जाता है…। एक सत्य यदि हम ह्रदय में उतार लें कि ना हम भविष्य देख सकते हैं ,, ना ही भविष्य निर्मित कर सकते हैं.…… हम तो केवल धैर्य और साहस के साथ भविष्य को आलिंगन दे सकते हैं .………………। स्वागत कर सकते हैं भविष्य का ………………. तो क्या जीवन का हर पल जीवन से नहीं भर जायेगा। …………
    Unlike ·  ·  · 3 minutes ago near New Delhi, Delhi · 

    SIMILAR TO सनातन धर्म एक ही धर्म
    Smriti Irani
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    Moraribapu
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  • धर्मप्रसारकी सेवासे साधना कैसे होती है ?
    १. धर्मप्रसारसे ज्ञान बढता है
    धर्मप्रसारके मध्य जब हम भिन्न प्रकारके जिज्ञासुओं एवं साधकोंसे मिलते हैं तो कई बार उनसे सीखते हैं और कई बार उनकेद्वारा पूछे गए प्रश्नके उत्तर ढूंढनेके क्रममें हमारे ज्ञानके भंडारमें बढोत्तरी होती है | समाजको धर्मकी शिक्षा देनी है इस कारण हम धर्मका अभ्यास कर ज्ञानार्जन करते हैं | हिन्दु धर्ममें एक धर्मग्रंथ, एक उपासना–पद्धति तो है नहीं और न ही एक योग मार्ग है ऐसेमें वैदिक सनातन धर्मका अध्यात्मशास्त्र एक महासागर समान है और एक साधकके लिए सभी योगमार्ग, धर्मग्रंथ एवं उपासना पद्धतिमें पारंगत होना कठिन है, अतः धर्मप्रसारके माध्यमसे हमें वैदिक ज्ञानकी व्यापकताकी अत्यधिक सुंदर झलक मिलती है जब हम समाजमें भिन्न साधक या संतको भिन्न साधना मार्गसे आध्यात्मिक प्रगति करते हुए देखते हैं तो हमें अध्यात्मको प्रत्यक्ष सीखनेका सुंदर सौभाग्य मिल जाता है |..............

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