Friday, 15 March 2013

Tanuja Thakur

मैकाले की शिक्षण पद्धतिऔर सरकार की तथाकथित धर्मनिरपेक्षतावाद ने किस प्रकार के हिन्दुओं की मानसिकता को जन्म दिया है आएये एक झलक देखें ! भाग -१
१. अधिकांश पढ़े लिखे हिन्दू को 'हिन्दू' कहने में लाज आती है वे अपने आप को 'सेकुलर' कहने में अधिक सहज और गर्व अनुभव करते हैं |
२. अधिकांश बुद्धिजीवी वर्ग समाज कल्याण की अपेक्षा अपने और अपने बच्चों के जीवन को सुखी बनाने में संपूर्ण जीवन व्यतीत कर देते हैं |
3. तिथि अनुसार पंचांग देखना और समझना यह उन्हें आधुनिकता से परे ले जाता है ऐसा उनका मानना होता है |
४. अपने संस्कृति और संस्कार को मानना और उसका आचरण करना को वे moderniation के विरुद्ध मानते हैं |
५. जुआ खेलना , शराब पीना, स्त्री को भोग्या समझना, संतों की निन्दा करना, देवी देवताओं का उपहास करना यह सब उनकी जीवन शैली का अविभाज्य अंग होता है |
६. कॉन्वेंट में शिक्षित हिन्दू अपने घर में ईसा मसीह का चित्र रखते हैं , कुछ रोजा रखते हैं तो कुछ मजार पर जाते हैं , तो कुछ गौमांस खाते हैं, अंग्रेजी में ही बोलना , पाश्चात्य संस्कृति के वस्त्र और खानपान यह सब उनके लिए modern होना और धर्मनिरपेक्ष होना के लक्षण हैं ऐसा उन्हें लगता है |
७. स्त्रीयां अपने अंग का प्रदर्शन करना और paise के लिए किसी भी हद तक गिर jaane को professionalism kehti हैं |
पिता- भाई के सामने cleavge प्रदर्शित करने वाले कपडे पहनने में भी आज की स्त्रीयों को तनिक भी लाज नहीं आती | आज अधिकांश फ़िल्मी तारिकाओं की लोक लाज नष्ट हो गयी है , जितनी अधिक अंग प्रदर्शन कोई कर सके वह स्त्री समाज की दृष्टि में उतनी ही बोल्ड हैं ऐसा समाज में धारणा तैयार किया जा है विद्या बालान के dirty picture के अंग प्रदर्शन को बोल्डनेस की उपमा दी जा रही है ऐसे ही अनेक तारिकाओं को उनकी अश्लील प्रदर्शन को कला का नाम दिया जा रहा है
८. मीडिया modernaisation के नाम पर सारी सीमायें तोड़ liberalisation के नाम पर सोफ्ट पोर्न को प्रस्तुतु कर रहा है , स्थिति इतनी विकट है की यदि हममे तनिक भी लाज हो तो आज धारावाहिकों की बात तो छोड़ दें , समाचार पत्र और news चैनल के समाचार अपने पिता और भाई के साथ बैठकर नहीं देख सकते हैं |

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