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हवा,
पानी के भीतर भी रहती है, प्राणवायु के रूप में, तभी तो मछलियां ज़िंदा
रहती हैं। जैसे सूर्य से उसकी किरणों भिन्न नहीं है, जैसे बीज से अंकुर
भिन्न नहीं होता, वैसे ही शक्तिमान शिव से शक्ति भिन्न नहीं। यह तो साधक की
आस्था होती है कि किसकी ओर ज्यादा झुके। कुछ बच्चे मां से ज्यादा निकटता
रखते हैं, तो कुछ पिता से। जबकि दोनों के प्रेम और महत्व में कोई भिन्नता
नहीं।
शिव अपनी शक्ति की आराधना करते हैं और शक्ति शिव की। ये
परस्पर पूरक हैं। एक को हटाकर दूसरे को नहीं देखा जा सकता। शिव ‘न’ कार है।
यानी ‘न’ अक्षर उनका बीज है। यह बीजाक्षर उनकी शक्ति ने ही हुंकारा था।
उसी से पंचाक्षर मंत्र ‘नम: शिवाय’ की उत्पत्ति हुई थी। पार्वती शिव की
प्रेरणा शक्ति हैं।
शिव ने सृष्टि के कई रहस्यों पर से परदा
पार्वती के कहने पर ही उठाया। उन्हीं के अनुरोध पर शिव ने अनेक मंत्रों,
तंत्रों, पुराणों को लिखवाया, सुनाया। अमरकथा, जिसके सुनने से मोक्ष की
प्राप्ति कहा जाता है, पहली बार शिव ने पार्वती को ही सुनाई थी। आम शब्दों
में कहें, तो शिव की जान पार्वती में बसती है और पार्वती की शिव में।
https://www.facebook.com/ shivshankardaily
शिव अपनी शक्ति की आराधना करते हैं और शक्ति शिव की। ये परस्पर पूरक हैं। एक को हटाकर दूसरे को नहीं देखा जा सकता। शिव ‘न’ कार है। यानी ‘न’ अक्षर उनका बीज है। यह बीजाक्षर उनकी शक्ति ने ही हुंकारा था। उसी से पंचाक्षर मंत्र ‘नम: शिवाय’ की उत्पत्ति हुई थी। पार्वती शिव की प्रेरणा शक्ति हैं।
शिव ने सृष्टि के कई रहस्यों पर से परदा पार्वती के कहने पर ही उठाया। उन्हीं के अनुरोध पर शिव ने अनेक मंत्रों, तंत्रों, पुराणों को लिखवाया, सुनाया। अमरकथा, जिसके सुनने से मोक्ष की प्राप्ति कहा जाता है, पहली बार शिव ने पार्वती को ही सुनाई थी। आम शब्दों में कहें, तो शिव की जान पार्वती में बसती है और पार्वती की शिव में।
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