Give prominence to intellect over emotions.
Allow me to leave my actions and their consequences to Thy
infinite will and mercy.
Let not the fruits of action be the motive of your actions,
otherwise you might be disappointed and leave the path of right direction.
Look upon all the animate beings as your bosom friends, for
in all of them there resides one soul.
All that lives or moves on earth transient or permanent
exists in the glory of God.
Rig Veda
ॐ त्र्यम्बकम् यजामहे सुगन्धिम्पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनात् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात।।
त्र - ध्रुव वसु। यम - अध्वर वसु। ब - सोम वसु। कम् - वरुण। य- वायु। ज -
अग्नि। म - शक्ति। हे - प्रभास। सु - वीरभद्र। ग - शम्भु। न्धिम - गिरीश।
पु - अजैक। ष्टि - अहिर्बुध्न्य। व - पिनाक। र्ध - भवानी पति। नम् -
कापाली। उ - दिकपति। र्वा - स्थाणु। रु -भर्ग। क - धाता। मि - अर्यमा। व-
मित्रादित्य। ब - वरुणादित्य। न्ध - अंशु। नात - भगादित्य। मृ - विवस्वान।
त्यो - इंद्रादित्य। मु - पूषादिव्य। क्षी - पर्जन्यादिव्य। य - त्वष्टा।
मा - विष्णुऽदिव्य। मृ - प्रजापति। तात -वषट। इस तरह मंत्र में 8 वसु, 11
रुद्र, 12 आदित्य 1-1 प्रजापति और वषट यानी त्रिदेव की शक्तियां समाई है,
इससे इसे स्मरण करने वाला काल, संकट, रोग व तमाम दःखों से सुरक्षित रहता
है।
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