एक
दिन कोई फल बेचने वाली आयी नन्दभवन के सामने से गुजरने लगी पुकार रही थी
फल ले लो फल! यह सुनते ही समस्त कर्मो और उपासनाओ के फल देने वाले भगवान
अच्युत ने सोचा फल देने वाला तो में हूँ, ये कौन है? जो फल दे रही है, फल
खरीदने के लिए भगवान भवन के आँगन में आये और फलवाली को बुलाया.
फल वाली ने कहाँ - लाला! जाओ, फल के बदले में कुछ वस्तु ले आओ, भगवान झट
अंदर गये और अपनी छोटी-सी अँजुली में अनाज लेकर दौड पड़े. उनकी अँजुली में
से सारा अनाज तो रास्ते में ही गिर गया जब वे फलवाली के पास पहुँचे, तो
दो-तीन दाने ही अनाज के बचे थे.
फल वेचनेवाली ने कहा – लाला क्या वस्तु लाए ?
भगवान ने अँजुली खोल कहा – ये इतना ही अनाज है बाकि तो रास्ते में गिर गया.
फल वाली भगवान की मोहिनी छवि देखकर,बस उन्हें देखते ही रह गयी. उसने सारे
फल भगवान को दे दिये. भगवान ने भी उसकी फल की टोकरी रत्नों से भर दी .
सार-
इस कथा में भगवान मानो यह बता रहे है कि अपने कर्म रूपी फल मुझे समर्पित
कर देने पर में उस कर्म से मुक्ति दे देता हूँ इसलिए भक्त को अपने समस्त
कर्म भगवान को समार्पित कर देना चाहिये.
एक
दिन कोई फल बेचने वाली आयी नन्दभवन के सामने से गुजरने लगी पुकार रही थी
फल ले लो फल! यह सुनते ही समस्त कर्मो और उपासनाओ के फल देने वाले भगवान
अच्युत ने सोचा फल देने वाला तो में हूँ, ये कौन है? जो फल दे रही है, फल
खरीदने के लिए भगवान भवन के आँगन में आये और फलवाली को बुलाया.
फल वाली ने कहाँ - लाला! जाओ, फल के बदले में कुछ वस्तु ले आओ, भगवान झट अंदर गये और अपनी छोटी-सी अँजुली में अनाज लेकर दौड पड़े. उनकी अँजुली में से सारा अनाज तो रास्ते में ही गिर गया जब वे फलवाली के पास पहुँचे, तो दो-तीन दाने ही अनाज के बचे थे.
फल वेचनेवाली ने कहा – लाला क्या वस्तु लाए ?
भगवान ने अँजुली खोल कहा – ये इतना ही अनाज है बाकि तो रास्ते में गिर गया.
फल वाली भगवान की मोहिनी छवि देखकर,बस उन्हें देखते ही रह गयी. उसने सारे फल भगवान को दे दिये. भगवान ने भी उसकी फल की टोकरी रत्नों से भर दी .
सार-
इस कथा में भगवान मानो यह बता रहे है कि अपने कर्म रूपी फल मुझे समर्पित कर देने पर में उस कर्म से मुक्ति दे देता हूँ इसलिए भक्त को अपने समस्त कर्म भगवान को समार्पित कर देना चाहिये.
फल वाली ने कहाँ - लाला! जाओ, फल के बदले में कुछ वस्तु ले आओ, भगवान झट अंदर गये और अपनी छोटी-सी अँजुली में अनाज लेकर दौड पड़े. उनकी अँजुली में से सारा अनाज तो रास्ते में ही गिर गया जब वे फलवाली के पास पहुँचे, तो दो-तीन दाने ही अनाज के बचे थे.
फल वेचनेवाली ने कहा – लाला क्या वस्तु लाए ?
भगवान ने अँजुली खोल कहा – ये इतना ही अनाज है बाकि तो रास्ते में गिर गया.
फल वाली भगवान की मोहिनी छवि देखकर,बस उन्हें देखते ही रह गयी. उसने सारे फल भगवान को दे दिये. भगवान ने भी उसकी फल की टोकरी रत्नों से भर दी .
सार-
इस कथा में भगवान मानो यह बता रहे है कि अपने कर्म रूपी फल मुझे समर्पित कर देने पर में उस कर्म से मुक्ति दे देता हूँ इसलिए भक्त को अपने समस्त कर्म भगवान को समार्पित कर देना चाहिये.
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