काम
का अर्थ है कामना , इच्छा . हम जब भी कोई कामना करते हैं तो हमें बाहर की
तरफ बहना पड़ता है क्योंकि इच्छा कहीं बाहर तृप्ति की आकांक्षा बन जाती
है.चौबीस घंटे हम बाहर की तरफ बह रहे हैं . किसी को धन पाना है , किसी को
यश ,पद पाना है ,किसी को प्रेम पाना है, और बड़ा आश्चर्य तो यह है किअगर
किसी को परमात्मा भी पाना है तो भी वह बाहर कि तरफ बहता है वह सोचता है कि
कहीं आकाश में परमात्मा बैठा है. धर्म का बाहर से कोई सम्बन्ध नहीं है ,
इसलिए जिनका ईश्वर बाहर हो वह ठीक से समझ लें कि उनका धर्म से कोई सम्बन्ध
नही है जिनके पाने कि कोई भी चीज़ बाहर हो वह समझ लें कि वह कामी हैं
ये
सभी जानते हैं कि राधा रानी का गाँव बरसाना है और यहाँ आने के लिए श्री
कृष्ण भी तरसा करते हैं .बहुत लोग इस बात को नहीं समझ पाते हैं. जो सबसे
प्रधान श्री राधा रानी जी का ग्रन्थ राधा
सुधा निधि है, उसमें बरसाना की ही वंदना की गई है. रसिक लोग कहते हैं कि
राधा रानी को प्रणाम करने कीयोग्यता तो हममें नहीं है उनके श्री चरणों को
अनंत कोटि ब्रह्माण्ड नायक भगवान श्री कृष्ण भी छूने में हिचकते हैं और
बड़े भय से उनके चरणों को छूते हैं.जब वो श्री जी के चरण छूने जाते हैं तो
वो प्रेम से हुंकार करती हैं. तो रसिक श्याम डर जाते हैं कि कहीं ऐसा ना हो
लाड़ली जी मान कर लें. इसीलिए भयभीत होकर पीछे हट जाते हैं. उन चरणों से
ही जो सरस रस बिखरा उस रस को पाकर के गोपीजन ही नहीं स्वयं श्री कृष्ण भी
धन्य हुए. बिहारी जी के प्रकटकर्ता स्वामी हरिदास जी लिखते हैं कि . वो
बोले कि ये मत समझना कि बांके बीहारी जी सर्वोच्चपति हैं. सब ठाकुरों के
ठाकुर ये बांके बिहारी हैं. लेकिन इनकी भी ठकुराइन हैं श्री राधा रानी.
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