Sunday, 8 December 2013

╮ शिव रुद्राष्टक ╭დ•~



~•დ╮ शिव रुद्राष्टक ╭დ•~
नमामीशमीशान निर्वाण रूपं, विभुं
व्यापकं ब्रह्म वेद: स्वरूपम्।
अजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं, चिदाकाश
माकाशवासं भजेऽहम्॥
निराकार मोंकार मूलं तुरीयं, गिराज्ञान
गोतीतमीशं गिरीशम्।
करालं महाकाल कालं कृपालुं,गुणागार
संसार पारं नतोऽहम्॥
तुषाराद्रि संकाश गौरं गभीरं, मनोभूत
कोटि प्रभा श्री शरीरम्।
स्फुरन्मौलि कल्लोलिनी चारू गंगा,
लसद्भाल बालेन्दु कण्ठे भुजंगा॥
चलत्कुण्डलं शुभ्र नेत्रं विशालं, प्रसन्नाननं
नीलकण्ठं दयालुम्।
मृगाधीश चर्माम्बरं मुण्डमालं, प्रिय शंकरं
सर्वनाथं भजामि॥
प्रचण्डं प्रकृष्टं प्रगल्भं परेशं, अखण्डं अजंभानु
कोटि प्रकाशम्।
त्रय:शूल निर्मूलनं शूलपाणिं, भजे अहं
भवानीपतिं भाव गम्यम्॥
कलातीत-कल्याण-कल्पांतकारी,
सदा सज्जनानन्द दातापुरारी।
चिदानन्द सन्दोह मोहापहारी, प्रसीद-
प्रसीद प्रभो मन्माथारी॥

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