Tuesday, 19 November 2013

Bhagwad Geeta

Bhagwad Geeta As It Is 2.48
yoga-sthaḥ kuru karmāṇi
sańgaḿ tyaktvā dhanañjaya
siddhy-asiddhyoḥ samo bhūtvā
samatvaḿ yoga ucyate

योगस्थः कुरु कर्माणि संग त्यक्त्वा धनंजय ।
सिद्धयसिद्धयोः समो भूत्वा समत्वं योग उच्यते ॥ (२.४८)
TRANSLATION :
Perform your duty equipoised, O Arjuna, abandoning all attachment to success or failure. Such equanimity is called yoga.

भावार्थ : हे धनंजय! तू सफ़लता तथा विफ़लता में आसक्ति को त्याग कर सम-भाव में स्थित हुआ अपना कर्तव्य समझकर कर्म कर, ऎसी समता ही समत्व बुद्धि-योग कहलाती है। (२.४८)

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