Friday, 27 September 2013

Bhagwad Geeta


  • PLEASE LIKE Cow & Hinduism / Gau Mata ki Jai

    1) Sometimes, GOD Breaks Our Spirit To Save Our Soul.

    2) Sometimes, HE Breaks Our heart To make Us Whole.

    3) Sometimes, HE Sends Us Pain So We Can Be Stronger.

    4) Sometimes, HE Sends Us Failure So We Can Be Humble.

    5) Sometimes, HE Sends Us Illness So We Can take Better Care Of Ourselves.

    6) Sometimes, HE Takes Everything Away From Us So We Can Learn The Value Of Everything We Have... !!
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  •  Sri Rukmini-Dwarkadisha
    Los Angeles, USA
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  • "But when one finally stands before Kali, time seems to stand still. Everything stops. The people, the noise - all is mysteriously gone. One stares with wide eyes, forgetting even to blink. All one sees is Kali and nothing else. Overwhelmed with feeling one whispers, 'I love you.' And from within she replies, 'You do so much more for I am the source of your being!'"
    This is the spirit in which to approach Kali. The Great Goddess herself will then reveal her mysteries for all of us, solving in the process, the eternal questions of life."
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  • Tanuja Thakur added a photo from 26 September 2013 to their timeline.
    नेपाल धर्मयात्राके मध्य एक व्यक्तिसे मिली जो अपने को तांत्रिक और अध्यात्मविद मानते हैं, हम सभी साधकोंके साथ वे तीन दिवस थे | हम तीनों साधकोंको परम पूज्य गुरुदेव डॉ. आठवलेके विषयमें बातें करते सुनकर मेरी अनुपस्थितिमें उन्होंने कहा कि आप सबकी गुरुके प्रति 'अंधश्रद्धा' है !!
    गुरुके प्रति अटूट श्रद्धा जिसे अज्ञानी 'अंधश्रद्धा' कहते हैं वह ही हमें भव सागरके पार करती है | श्रीगुरु चरित्रमें लिखा है "जिसपर श्रद्धा करना चाहिए उसपर भी पूर्ण श्रद्धा न करें और जिसपर श्रद्धा नहीं करना चाहिए उसपर तो कदापि न करें परंतु गुरुशास्त्र और गुरुपर पूर्ण श्रद्धा करें" |
    सुनी सुनाई बातोंपर न जाएँ, यदि आपकी जीवात्माको आपके गुरुके विषयमें अनेक अनुभूतियां हो चुकी हैं और आपको यह भान हो जाये कि वे आत्मसाक्षातकारी विभूति हैं तो उनपर पूर्ण श्रद्धा करें और आपका यही भाव आपको भवसागरसे तार सकती है !
    इस ब्रह्मांडका यदि कोई सत्य है तो वह है कि हमारे श्रीगुरु एक उच्च कोटिके विभूति और आत्मज्ञानी संत ही नहीं , धर्मसंस्थापक हैं और कालका प्रवाह इस तथ्यको सत्य सिद्ध करेगा, ऐसे सद्गुरुके प्रति श्रद्धा भी उनकी कृपासे ही प्राप्त हो सकता है ! और यह जानकार आनंद भी हुआ कि हमारी श्रद्धा किसीको 'अंधश्रद्धा' लगी यह 'अंधश्रद्धा' सदैव बनी रहे यह श्रीगुरु चरणोंमें प्रार्थना है !
    जिसने गुरु भक्ति नहीं की है वह उसका आनंद वैसे ही नहीं समझ सकता जैसे एक विदेशी इडली और डोसाका बिना देखे और स्वाद चखे उसका स्वाद नहीं समझ सकता !
    अध्यात्ममें छोटे-मोटे भूतों और सिद्धियोंको पाकर कुछ व्यक्ति अपनेको न जाने क्या समझने लगते हैं ! वे मुझसे तो कुछ नहीं कह रहे थे परंतु हमारे साथ जो साधक गए थे उन्हें बता रहे थे कि वे 'प्लानचार्ट' कर किसी भी मृत जीवात्माको बुला कर उन्हें उनसे मिला सकते हैं ! अरे भाई ! भूतोंसे मिलाया तो क्या मिलाया देवताओंसे मिला दो तो आपके चरण स्पर्श करूँ ! ये सब छुटभैये तंत्रिक किस प्रकार समाज और साधकको दिग्भ्रमित करते हैं यह समझमें आता है | उन्होंने मुझसे प्रथम बार कहा कि मैं तो धार्मिक भी नहीं हूँ परंतु मैंने अपने साधकों को पहले ही सतर्क कर दिया था कि यह व्यक्ति कोई छोटा- मोटा तांत्रिक है और मुझसे असत्य बोल रहा है और आप सब इससे सतर्क रहे | हमारे साधक यह सुनकर प्रथमत: डर गए , तब मैंने उनसे कहा कि आप सब चिंता न करें हम जिस सद्गुरुके संरक्षणमें हैं वे इस ब्रह्मांडकी सर्वोच्च सत्ता है और जब तक हम सत्य और धर्मके मार्गपर हैं, हमारा कोई कुछ भी नहीं बिगाड सकता , इससे साधक निश्चिंत हो गए और उन्हें तीन दिन झेल लिया |
    source : www.tanujathakur.com
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