प्रणव भी कहते हैं ओम को
****************
ओम को जब हम जोर से और पूरी तन्मयता से ओ से शुरू करके म पर खत्म करते हैं
तो आत्मा प्रसन्न हो जाती है। यह ध्वनि अपने शरीर के भीतर, एक गहराई से
आती हुई प्रतीत होती है इसलिए इसे प्रणव कहते हैं यानी ऐसी आवाज जो हमारे
प्राणों से आती हो।
No comments:
Post a Comment