Tuesday, 16 July 2013

GEETA - Tanuja Thakur

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हतो वा प्राप्स्यसि स्वर्गं जित्वा वा भोक्ष्यसे महीम्‌ ।
तस्मादुत्तिष्ठ कौन्तेय युद्धाय कृतनिश्चयः ॥
- (श्रीमद भगवद गीता २.३७ )

अर्थ : या तो तू युद्धमें मारा गया तो स्वर्गको प्राप्त होगा; अथवा संग्राममें जीतकर पृथ्वीका राज्य भोगेगा
। इस कारण हे अर्जुन ! तू युद्धके लिए निश्चय कर खडा हो जा |
- (श्रीमद भगवद गीता २.३७ )
भावार्थ : भगवान श्रीकृष्ण अर्जुनको धर्मयुद्धके लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं | उनका कहना है कि युद्धमें या तो जीत होगी या एक खरे क्षत्रियकी तरह वीरगति प्राप्त होगी, दोनों ही स्थिति लाभप्रद है | यदि जीत हुई तो पृथ्वीपर राज्य करनेका सुख और वीरगतिकी प्राप्ति हुई तो उससे भी पुण्य ही मिलेगा और फलस्वरूप स्वर्गका सुख प्राप्त होगा अर्थात दोनों ही स्थितिमें धर्मपालन करनेसे सुख ही मिलने वाला है | अर्थात धर्माचरण करनेवालेका कल्याण निश्चित ही होता है | अतः मोहवश अपने कर्तव्यका पालन न करनेसे पाप और अपयश दोनों ही प्राप्त होता है जो किसी भी क्षत्रियको शोभा नहीं देता | अतः अडिग होकर धर्मपथका अनुसरण करना यह साधकके लिया योग्य है | अर्जुनमें क्षत्रिय भावका संचार करते हुए भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं “उठो और युद्ध करो” !

Hata vo praapsyasi swargam jitva va bhokshyase maheem
Tasmadutthishth Kaunteya yuddhay krutnishchayah
Meaning : Either you will get killed in the war, or you will attain heaven; or you will win the war and will get to rule over the Earth. For this reason, O Arjuna! You must take a decision to fight the war and stand up for it.
Implied meaning : Lord Krushna is motivating Arjuna to wage Dharma Yuddha. He says that the war will either lead to a victory, or like a brave warrior, death will come, both the situations are beneficial. If victory comes, the pleasure of ruling over the earth will be experienced and if death comes, even that will lead to Punya (merit) and consequently, heaven will be attained, meaning in both the situations, Dharmapaalan (abiding by Dharma) will result in happiness; thus, the welfare of one practising Dharmaacharan (abiding by the code of conduct as per Vedic Dharma) is a certainty. Hence, by not performing one’s duty out of desire, sin and defamation results, which does not behove any Kshatriya (warrior). Hence, following Dharma Path steadfastly is apt for a seeker. Infusing Arjuna with Kshatriya Bhav (spiritual emotion of a warrior) Lord Krushna says, “Stand up and fight the war”.
courtesy : www.tanujathakur.com

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