Thursday, 7 March 2013

जय हनुमान ज्ञान गुण सागर

दोहा
श्री गुरु चरण सरोज रज, निज मनु मुकुर सुधारि I
बरनऊ रघुबर विमल जसु, जो दायक फल चारि II
बुद्धिहीन तनु जानिके , सुमरो पवन -कुमार I
बल बुद्धि विद्या देहु मोहे , हरहु कलेश विकार II
चोपाई
जय हनुमान ज्ञान गुण सागर I जय कपीस तिहुँ लोक उजागर II
राम दूत अतुलित बल धामा I अंजनी पुत्र पवन सूत नामा II
महाबीर बिक्रम बजरंगी I कुमति निवार सुमति के संगी II
कंचन बरन बिराज सुबेषा I कानन कुंडल कुंचित केशा II
हाथ वज्र औ ध्वजा बिराजे I कांधे मूँज जनेऊ साजे II
शंकर सुवन केसरीनंदन I तेज प्रताप महा जग बंधन II
विद्यावान गुणी अति चातुर I राम काज करिवे को आतुर II
प्रभु चरित सुनिवे को रसिया I राम लखन सीता मन बसिया II
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा I विकत रूप धरि लंक जरावा II
भीम रूप धरि असुर संहारे I रामचंद्र के काज संवारे II
लाये संजीवन लखन जियाये I श्रीरघुवीर हरिष उर लाये II
रघुपतिi किन्ही बहुत बड़ाई I तुम मम प्रिय भरत सम भाई II
सहस बदन तुम्हारो जस गावें I आस कहीं श्रीपति कंठ लगावें II
सनकादिक ब्रह्मादी मुनीशा I नारद शरद सहित अहिशा II
जम कुबेर दिगपाल जहाँते Iकवि कोविद कहिं सकें कहाँतें II
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा I राम मिलाये राज पद दीन्हा II
तुम्हरो मंत्र विभीषण मन I लंकेश्वर भये सब जग जाना II
जुग सहस्त्र जोजन पर भानु I लील्यो ताहि मधुर फल जानू II
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहि I जलधि लांघी गए अचरज नाहिं II
दुर्गम काज जगत के जेते I सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते II
राम दुआरे तुम रखवारे I होत न आज्ञा बिनु पैसारे II
सब सुख लहैं तुम्हरी शरना I तुम रक्षक काहू को डरना II
आपन तेज सम्हारो आपै I तीनो लोक हाकते कापें II
भूत पिशाच निकट नहीं आवै I महावीर जब नाम सुनावै II
नाशै रोग हरे सब पीरा I जपत निरंतर हनुमत वीरा II
संकट ते हनुमान छुड़ावै I मन क्रम बचन ध्यान जो लावै II
सब पर राम तपस्वी रजा I तिन के काज सकल तुम सजा II
और मनोरथ जो कोई लावै I सौई अमित जीवन फल पावै II
चारो जुग प्रताप तुम्हारा I है प्रसिद्द जगत उजियारा II
साधू संत के तुम रखवारे I असुर निकन्दन राम दुलारे II
अष्ट सिद्धि नवनिधि के दाता I अस बार दीन जानकी माता II
राम रसायन तुम्हारे पासा I सदा रहो रघुपति के दासा II
तुम्हरे भजन राम को पावै I जनम जनम के दुःख बिसरावे II
अंत काल रघुबर पुर जाई I जहाँ जनम हरी भक्त कहाई II
और देवता चित्त न धरई I हनुमत सोयी सर्व सुख करई II
संकट कटे मिटे सब पीरा I जो सुमरे हनुमत बलवीरा II
जै जै जै हनुमान गोंसाई I कृपा करहू गुरु देव की नाईं II
जो सत बार पाठ करे कोई I छूटे बन्दी महा सुख होई II
जो यह पड़े हनुमान चालीसा I होय सिद्धि साखी गोरिसा II
तुलसीदास सदा हरि चेरा I कीजे नाथ ह्रदय मैं डेरा II
दोहा
पवन तनय संकट हरण , मंगल मूर्ति रूप I
राम लखन सीता सहीत , ह्रदय बसहु सुर भूप II
दोहा 
श्री  गुरु  चरण  सरोज  रज, निज  मनु  मुकुर  सुधारि I
बरनऊ   रघुबर  विमल  जसु, जो  दायक  फल  चारि II
बुद्धिहीन  तनु  जानिके , सुमरो   पवन -कुमार  I 
बल  बुद्धि  विद्या  देहु  मोहे , हरहु  कलेश  विकार  II
चोपाई 
जय  हनुमान  ज्ञान  गुण  सागर  I जय कपीस  तिहुँ  लोक  उजागर  II
राम  दूत  अतुलित  बल  धामा  I अंजनी  पुत्र  पवन  सूत  नामा  II
महाबीर  बिक्रम  बजरंगी   I कुमति  निवार  सुमति  के  संगी  II
कंचन बरन  बिराज  सुबेषा  I कानन कुंडल  कुंचित  केशा  II
हाथ   वज्र    औ  ध्वजा  बिराजे  I कांधे  मूँज  जनेऊ  साजे II
शंकर     सुवन  केसरीनंदन  I तेज  प्रताप  महा  जग  बंधन  II
विद्यावान  गुणी अति   चातुर I राम  काज  करिवे   को  आतुर  II
प्रभु  चरित  सुनिवे  को  रसिया  I राम  लखन  सीता   मन  बसिया  II
सूक्ष्म  रूप  धरि सियहिं  दिखावा  I विकत  रूप  धरि  लंक  जरावा  II
भीम  रूप  धरि  असुर  संहारे  I रामचंद्र  के  काज  संवारे  II
लाये  संजीवन  लखन  जियाये  I श्रीरघुवीर  हरिष उर  लाये  II
रघुपतिi किन्ही  बहुत  बड़ाई  I तुम  मम  प्रिय  भरत सम  भाई  II
सहस  बदन  तुम्हारो  जस  गावें  I आस  कहीं  श्रीपति  कंठ  लगावें  II
सनकादिक  ब्रह्मादी   मुनीशा   I नारद  शरद  सहित  अहिशा II
जम  कुबेर  दिगपाल  जहाँते  Iकवि कोविद  कहिं सकें  कहाँतें   II
तुम  उपकार  सुग्रीवहिं  कीन्हा I राम  मिलाये  राज  पद  दीन्हा  II
तुम्हरो  मंत्र  विभीषण  मन  I लंकेश्वर  भये  सब  जग  जाना  II
जुग  सहस्त्र  जोजन  पर भानु  I लील्यो  ताहि  मधुर  फल  जानू  II
प्रभु  मुद्रिका  मेलि मुख  माहि  I जलधि  लांघी  गए  अचरज  नाहिं II
दुर्गम  काज  जगत  के  जेते  I सुगम  अनुग्रह  तुम्हरे   तेते  II
राम  दुआरे  तुम  रखवारे  I होत  न  आज्ञा बिनु  पैसारे  II
सब  सुख  लहैं  तुम्हरी   शरना  I तुम  रक्षक  काहू  को  डरना  II
आपन तेज  सम्हारो  आपै I तीनो लोक  हाकते कापें  II
भूत पिशाच निकट  नहीं आवै  I महावीर  जब  नाम  सुनावै II
नाशै रोग  हरे  सब  पीरा   I जपत  निरंतर  हनुमत  वीरा  II
संकट  ते  हनुमान  छुड़ावै   I मन  क्रम   बचन  ध्यान  जो  लावै  II
सब  पर राम  तपस्वी  रजा  I तिन  के  काज  सकल  तुम  सजा  II
और  मनोरथ  जो  कोई  लावै  I सौई अमित  जीवन  फल  पावै   II
चारो  जुग  प्रताप  तुम्हारा  I है  प्रसिद्द  जगत  उजियारा  II
साधू  संत  के  तुम  रखवारे  I असुर  निकन्दन  राम  दुलारे  II
अष्ट सिद्धि  नवनिधि  के  दाता  I अस  बार  दीन जानकी  माता  II
राम  रसायन  तुम्हारे  पासा  I सदा  रहो  रघुपति  के  दासा II
तुम्हरे  भजन  राम  को  पावै I जनम  जनम  के  दुःख  बिसरावे  II
अंत  काल  रघुबर  पुर  जाई   I जहाँ  जनम  हरी  भक्त  कहाई II
और  देवता  चित्त न धरई  I हनुमत  सोयी  सर्व  सुख  करई II
संकट  कटे  मिटे  सब  पीरा I जो  सुमरे हनुमत  बलवीरा  II
जै जै  जै  हनुमान  गोंसाई  I  कृपा  करहू  गुरु  देव  की  नाईं  II
जो  सत बार  पाठ करे  कोई  I छूटे  बन्दी  महा  सुख  होई  II
जो  यह  पड़े  हनुमान  चालीसा I होय सिद्धि  साखी गोरिसा  II
तुलसीदास  सदा  हरि चेरा  I कीजे  नाथ  ह्रदय  मैं  डेरा  II
दोहा 
पवन तनय  संकट  हरण , मंगल  मूर्ति  रूप  I
राम  लखन  सीता  सहीत , ह्रदय  बसहु  सुर  भूप  II

No comments:

Post a Comment