Sunday, 10 February 2013

HAR HAR MAHADEV


भगवान शिव अपने कर्मों से तो अद्भुत हैं ही; अपने स्वरूप से भी रहस्यमय हैं। भक्त से प्रसन्न हो जाएं तो अपना धाम उसे दे दें और यदि गुस्सा हो जाएं तो उससे उसका धाम छीन लें।
शिव अनोखेपन और विचित्रताओं का भंडार हैं। शिव की तीसरी आंख भी ऐसी ही है। धर्म शास्त्रों के अनुसार सभी देवताओं की दो आंखें हैं पर शिव की तीन आंखें हैं।
दरअसल शिव की तीसरी आंख प्रतीकात्मक नेत्र है। आंखों का काम होता है रास्ता दिखाना और रास्ते में पढऩे वाली मुसीबतों से सावधान करना। जीवन में कई बार ऐसे संकट भी आ जाते हैं; जिन्हें हम अपनी दोनों आंखों से भी नहीं देख पाते। ऐसे समय में विवेक और धैर्य ही एक सच्चे मार्गदर्शक के रूप में हमें सही-गलत की पहचान कराता है। यह विवेक अत:प्रेरणा के रूप में हमारे अंदर ही रहता है। बस जरुरत है उसे जगाने की।
भगवान शिव का तीसरा नेत्र आज्ञाचक्र का स्थान है। यह आज्ञाचक्र ही विवेकबुद्धि का स्रोत है।
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Ψ. मैं न योग जानता हूँ, न ही जप और पूजा, हे शम्भु! मैं तो सदा-सर्वदा आपको ही नमन करता हूँ। हे मेरे प्रभु!, हे मेरे ईश्वर!, हे शम्भु! वृद्धावस्था, जन्म [और मृत्यु] आदि दुखों से घिरे मुझ दुखी की रक्षा कीजिये ॥८ ll Ψ

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  1. हिंदुत्व से बढ़कर कोई धर्म नहीं"गौ गीता गंगा और गायत्री<++join>हिंदुत्व से बढ़कर कोई धर्म नहीं"गौ गीता गंगा और गायत्री
    अतीतः पंथानं तव च महिमा वाङ्मनसयोः
    अतद्व्यावृत्त्या यं चकितमभिधत्ते श्रुतिरपि।
    स कस्य स्तोतव्यः कतिविधगुणः कस्य विषयः
    पदे त्वर्वाचीने पतति न मनः कस्य न वचः॥ २॥
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  2. Oм ηαмαн ѕнιναy Oм ηαмαн ѕнιναy

    न द्वेष , न राग , न लोभ , न मोह , न मत्सर , न धर्म , न अर्थ , न काम , न मोक्ष हूँ ; मैं तो सच्चिदानंद स्वरुप कल्याणकारी शिव हूँ , शिव......न तो प्राण उर्जा हूँ , न पञ्च वायु हूँ , न सप्त धातुएं हूँ , न पञ्च कोष हूँ , न सृष्टी , न प्रलय , न गति , न वाणी और न तो श्रवण ही हूँ ; मैं तो केवल सच्चिदानंद स्वरुप कल्याणकारी शिव हूँ !!

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  3. न मृत्यु , न संदेह , न तो जाति-भेद (खंडित ) हूँ , न पिता न माता , न जन्म न बन्धु , न मित्र न गुरु न शिष्य ही हूँ ; मैं तो केवल सच्चिदानंद स्वरुप कल्याणकारी शिव हूँ , शिव ......न पुण्य हूँ , न पाप ; न सुख न दुःख , न मन्त्र न तीर्थ , न वेद न यज्न , न भोज्य , न भोजन न भोक्ता ही हूँ ; मै तो केवल सच्चिदानंद स्वरुप कल्याणकारी शिव हूँ

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  4. हिंदुत्व से बढ़कर कोई धर्म नहीं"गौ गीता गंगा और गायत्री<++join>हिंदुत्व से बढ़कर कोई धर्म नहीं"गौ गीता गंगा और गायत्री
    सभी महाकाल भक्तों को शुभ प्रभात ।
    अकाल मृत्यु वो मरे जो काम करे चंडाल का ।
    काल भी उसका क्या करे जो भक्त हो महाकाल का ॥
    हर हर महादेव ,
    जय महाकाल ॥

  5. Oм ηαмαн ѕнιναy Oм ηαмαн ѕнιναy

    विकारों से रहित , विकल्पों से रहित , निराकार , परम एश्वर्य युक्त , सर्वदा यत्किंच सभी में सर्वत्र ,समान रूप में ब्याप्त हूँ , मैं ईक्षा रहित , सर्व संपन्न ,जन्म -मुक्ति से परे ,सच्चिदानंद स्वरुप कल्याणकारी शिव हैं !!

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  6. Ψ. सच्चिदानंद स्वरूप कल्याणकारी शिव .ψ Oм ηαмαн ѕнιναy

    शुभ रात्रि मेरे मित्र जनों !!
    सभी मित्रों को मेरा सादर नमस्कार !!!
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    शुभ रात्रि मेरे मित्र जनों !!
    सभी मित्रों को मेरा सादर नमस्कार !!!

  7. जय मन भावन, जय अति पावन, शोक नशावन,
    विपद विदारन, अधम उबारन, सत्य सनातन शिव शम्भो,
    सहज वचन हर जलज नयनवर धवल-वरन-तन शिव शम्भो,
    मदन-कदन-कर पाप हरन-हर, चरन-मनन, धन शिव शम्भो,
    विवसन, विश्वरूप, प्रलयंकर, जग के मूलाधार हरे।
    पार्वती पति हर-हर शम्भो, पाहि पाहि दातार हरे॥

    ♥ॐ नम: शिवाय♥

    ॐ नमः शिवाय॥
     
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    छड दे पीताम्बर राधे , अज मेनू जान दे
    सभा विच द्रोपदी दी लाज बचान दे

    तीन तंदा बनिया ने ऊँगली दे नील ते
    जग सारा वार दिया इको इक लीर ते
    सर मेरे कर्जा , अज मेनू लाहन दे
    छड दे पीताम्बर राधे , अज मेनू जान दे
    सभा विच द्रोपदी दी लाज बचान दे


    जे मै अज ना जावांगा , लाज ओहदी जाएगी
    मार मार ताने मेनू द्रोपदी सताएगी
    मार मार ताने मेनू द्रोपदी ले जाएगी
    साड़ीया दे ढेर सभा विच मेनू लगान दे

    जे मै अज सुनागा ना भगता दी पुकार नु
    जे मै अज सुनागा ना द्रोपदी दी पुकार नु
    किवे मुह दिखाऊ जाके विच संसार दे
    बंसरी दी तान मेनू सभा विच लान दे
    छड दे पीताम्बर राधे , अज मेनू जान दे
    सभा विच द्रोपदी दी लाज बचान दे


    *बंसरी दी तान सिर्फ द्रोपदी जी को सुनाई दी थी जिस पर वो मगन हो गई, उसे अपना कुछ ख्याल ना रहा. सब कुछ इश्वर पर छोड़ दिया.

    बोलिए राधे राधे
    जय माता दी जी
    बोलिए मेरी मात राज रानी की जय
    बोलिए मेरी मात वैष्णो रानी की जय

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