Monday, 25 February 2013

अंत कैसे सुधरे ???

अंत कैसे सुधरे ???


मानव शरीर बड़ा मूल्यवान है l इसे प्राप्त करने के लिए देवता भी तरसते हैं l भगवत कृपा से ऐसा शरीर हमें मिलगया है, परन्तु हम अभागे हैं; क्योंकि इसका लाभ नहीं ले पा रहे हैं , इस पवित्र शरीर को हम सांसारिक भोगों की कीच में दुबोयें हुए हैं और उसी मे डूबते-उतरते हुए अंत में काल के मुह में समां जायेंगे l कुछ भी प्राप्त नहीं कर सकेंगे l क्या यही जीवन की नियति है ? यह एक विचारनीय प्रश्न है l

सांसारिक भोग-व्रीत्ति प्रारंभ में सुख देती प्रतीत होती है , किन्तु उसका परिणाम दुखदायी है l
हॉग-व्रीती जीवन का समाधान नहीं है l

जीवन तो जैसे-तैसे भी गुजरता चला जाता है l काल हमारी जीन्दगी का कब द्वार खटखटा दे , इसका कोई ठिकाना नहीं l काल अचानक हमारी जीन्दगी में आये , इसके पहले ही हमें उसके स्वागत के लिए तैयार रहना चाहिए l अंत संवर जाये तो पूरा जीवन संवर जाय और बिगड़ गया तो समझो पूरा जीवन बिगड़ गया l

इसलिए 'अंता भला सो सब भला ' परन्तु अंत कैसे सुधरे ? इसका प्रत्येक कल्याण कामी को विचार करना चाहिए ल

जय राधे ...!!!
अंत कैसे सुधरे ???


मानव शरीर बड़ा मूल्यवान है l इसे प्राप्त करने के लिए देवता भी तरसते हैं l भगवत कृपा से ऐसा  शरीर हमें मिलगया है, परन्तु हम अभागे हैं; क्योंकि इसका लाभ नहीं ले पा रहे हैं , इस पवित्र शरीर  को हम सांसारिक भोगों की कीच में दुबोयें हुए हैं और उसी मे  डूबते-उतरते हुए अंत में काल के मुह में समां जायेंगे l कुछ भी प्राप्त नहीं कर सकेंगे l क्या यही जीवन की नियति है ? यह एक विचारनीय  प्रश्न है l

सांसारिक भोग-व्रीत्ति प्रारंभ में सुख देती प्रतीत होती है , किन्तु उसका परिणाम दुखदायी है l 
हॉग-व्रीती जीवन का समाधान नहीं है l

जीवन तो जैसे-तैसे भी गुजरता चला जाता है l काल हमारी जीन्दगी का कब द्वार खटखटा दे , इसका कोई ठिकाना नहीं l काल अचानक हमारी जीन्दगी में आये , इसके पहले ही हमें उसके  स्वागत के लिए तैयार रहना चाहिए l अंत संवर जाये तो पूरा जीवन संवर जाय और बिगड़ गया तो  समझो पूरा जीवन बिगड़ गया l

इसलिए  'अंता भला सो सब भला ' परन्तु अंत कैसे सुधरे ? इसका प्रत्येक कल्याण कामी को विचार करना चाहिए ल

जय राधे ...!!!

No comments:

Post a Comment