Tuesday, 26 February 2013

सनातन धर्म एक ही धर्म

प्रीति शब्द का अर्थ ही है तृप्ति। प्रीत तर्पण से ही प्रीति शब्द बना है। हम जीवनभर तृप्ति को धारण करना चाहते हैं। प्रीति+सेवा है भक्ति। सेवा में प्रीति हो तब वह भक्ति होती है। बिना प्रीति की सेवा भक्ति नहीं है। इसी प्रकार निष्क्रिय प्रीति भी भक्ति नहीं है। सेवा कर कुछ और चाहना भक्ति नहीं होती।
प्रीति शब्द का अर्थ ही है तृप्ति। प्रीत तर्पण से ही प्रीति शब्द बना है। हम जीवनभर तृप्ति को धारण करना चाहते हैं। प्रीति+सेवा है भक्ति। सेवा में प्रीति हो तब वह भक्ति होती है। बिना प्रीति की सेवा भक्ति नहीं है। इसी प्रकार निष्क्रिय प्रीति भी भक्ति नहीं है। सेवा कर कुछ और चाहना भक्ति नहीं होती।
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Durgati Nashini Durga Jai Jai
Kaala Vinashini Kaalini Jai Jai
Uma Rama Sarvaani Jai Jai
Seetha Radha Rukmini Jai Jai
Jai Jai Jai Hari Narayana Jai
Jai Jai Gopeejana Vallabha Jai Jai
Bhaktha Vatsala Sai Naathha Jai Jai
Durgati Nashini Durga Jai Jai 
Kaala Vinashini Kaalini Jai Jai 
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