दुनिया
मैं वैसा कहीं भी नहीं है। जैसे हमारा भारत वर्ष , यहाँ पे हमारे
संस्कारों में हर जगह परमात्मा के वास्तविक स्वरूप का वर्णन हैं जैसे दोनों
हाथ जोड़ना ।
इस देश ने कुछ दान दिया है मनुष्य की चेतना को, अपूर्व।
यह देश अकेला है जब दो व्यक्ति नमस्कार करते है,
तो दो काम करते है।
एक तो दोनों हाथ जोड़ते है।
दो हाथ जोड़ने का मतलब होता है: दो नहीं एक।
दो हाथ दुई के प्रतीक है, द्वैत के प्रतीक है।
उन दोनों को हाथ जोड़ने का मतलब होता है, दो नहीं एक है।
उस एक का ही स्मरण दिलाने के लिए।
दोनों हाथों को जोड़ कर नमस्कार करते है।
और, दोनों को जोड़ कर जो शब्द उपयोग करते है।
वह परमात्मा का स्मरण होता है।
कहते है: राम-राम, जय राम, या कुछ भी,
लेकिन वह परमात्मा का नाम होता है।
दो को जोड़ा कि परमात्मा का नाम उठा।
दुई गई कि परमात्मा आया।
दो हाथ जुड़े और एक हुए कि फिर बचा क्या: हे राम।।
दुनिया
मैं वैसा कहीं भी नहीं है। जैसे हमारा भारत वर्ष , यहाँ पे हमारे
संस्कारों में हर जगह परमात्मा के वास्तविक स्वरूप का वर्णन हैं जैसे दोनों
हाथ जोड़ना ।
इस देश ने कुछ दान दिया है मनुष्य की चेतना को, अपूर्व।
यह देश अकेला है जब दो व्यक्ति नमस्कार करते है,
तो दो काम करते है।
एक तो दोनों हाथ जोड़ते है।
दो हाथ जोड़ने का मतलब होता है: दो नहीं एक।
दो हाथ दुई के प्रतीक है, द्वैत के प्रतीक है।
उन दोनों को हाथ जोड़ने का मतलब होता है, दो नहीं एक है।
उस एक का ही स्मरण दिलाने के लिए।
दोनों हाथों को जोड़ कर नमस्कार करते है।
और, दोनों को जोड़ कर जो शब्द उपयोग करते है।
वह परमात्मा का स्मरण होता है।
कहते है: राम-राम, जय राम, या कुछ भी,
लेकिन वह परमात्मा का नाम होता है।
दो को जोड़ा कि परमात्मा का नाम उठा।
दुई गई कि परमात्मा आया।
दो हाथ जुड़े और एक हुए कि फिर बचा क्या: हे राम।।
इस देश ने कुछ दान दिया है मनुष्य की चेतना को, अपूर्व।
यह देश अकेला है जब दो व्यक्ति नमस्कार करते है,
तो दो काम करते है।
एक तो दोनों हाथ जोड़ते है।
दो हाथ जोड़ने का मतलब होता है: दो नहीं एक।
दो हाथ दुई के प्रतीक है, द्वैत के प्रतीक है।
उन दोनों को हाथ जोड़ने का मतलब होता है, दो नहीं एक है।
उस एक का ही स्मरण दिलाने के लिए।
दोनों हाथों को जोड़ कर नमस्कार करते है।
और, दोनों को जोड़ कर जो शब्द उपयोग करते है।
वह परमात्मा का स्मरण होता है।
कहते है: राम-राम, जय राम, या कुछ भी,
लेकिन वह परमात्मा का नाम होता है।
दो को जोड़ा कि परमात्मा का नाम उठा।
दुई गई कि परमात्मा आया।
दो हाथ जुड़े और एक हुए कि फिर बचा क्या: हे राम।।
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