Tuesday, 29 January 2013

OM GANAPATAYE NAMAHA

|| हे लम्बोदर महाराज ||

गज सामान मुखड़ा तेरा हे लम्बोदर महाराज |
आन पड़ी हर भक्त को तेरी जरूरत आज ||

देवलोक क्यों जा बसे छोड़ मृत्यु लोक |
क्या तुम को भाये नहीं इस धरती के लोग ||
नयन बरसते देखकर क्यों नहीं आई लाज |
इतने कठोर कबसे हुए ओ गणपति महाराज ||
आन पड़ी हर भक्त को तेरी जरूरत आज |
गज सामान मुखड़ा तेरा हे लम्बोदर महाराज ||

जी तोड़ पूजा तेरी अब करते है लोग |
सबसे पहले आपको यहाँ मनाते लोग ||
निर्विघन सब काम हो करते ये फ़रियाद |
प्रथम निमंत्रण भेजकर तुम्हे दिलाते याद ||
आन पड़ी हर भक्त को तेरी जरूरत आज |
गज सामान मुखड़ा तेरा हे लम्बोदर महाराज ||

तुझे पूजने की विधि नहीं जानता ये ‘श्याम’ |
इसलिए कर जोड़ कर खडा हूँ तुम्हारे धाम ||
बड़ी उम्मीद है आप से ऐ गरीब नवाज़ |
इसलिए दर आपके आये हम गणपति महाराज ||
आन पड़ी हर भक्त को तेरी जरूरत आज |
गज सामान मुखड़ा तेरा हे लम्बोदर महाराज ||

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@[260145507424833:274:Oм ηαмαн ѕнιναy]  <=
       
|| शोभा दर दरबार की हे गणपति जी महाराज ||

शोभा दर दरबार की हे गणपति जी महाराज |
आये विलोकन भक्त सब , तेरे दर पर आज ||

खुशियों से है भरा , स्वामी तेरा ये दरबार |
गूंजे जिस से हर घड़ी , तेरा जय जयकार ||
भक्तो के प्यार का , है प्रभु तेरे सिर पर ताज |
शोभा दर दरबार की हे गणपति जी महाराज ||

जिसकी तुम पर आस्था हे लम्बोदर भगवान |
तेरे चरणों में ही मिले , उसको सही मुकाम ||
बिन तेरी अनुमति के , न शुरू हो कोई काज |
शोभा दर दरबार की हे गणपति जी महाराज ||

‘श्याम’ खडा दर पर तेरे , करने को गुणगान |
प्रभु, शब्दों में भर दो मेरे , थोड़ी सी ही जान ||
तुम ही मेरा साज हो , प्रभु तुम ही मेरी लाज |
शोभा दर दरबार की हे गणपति जी महाराज ||
.............
..................................................................
टेग हटाने को कोई भी मित्र अन्यथा न ले....जो भी मित्र अपनी वाल पर ...भजन और तस्वीर चाहते हैं...वो यहाँ जयकारा लगाए और इसे अपनी वाल पर शेयर कर ले...क्योकि टेग अन्य मित्रों को जिन्होंने अभी तक यह रचना नहीं पढ़ी ..उनको टेग करने के लिए चाहिए होते हैं....साथ ही जो मित्र चाहते है कि...उन्हें भक्ति सागर में टेग न किया जाए ...वो भी निसंकोच ....कह दे..उन्हें उसके बाद टेग नहीं किया जायेगा.....

धन्यवाद ..
 
ओ भक्ति दाता , बुद्धि विधाता भक्तन के हितकारी ||

ओ भक्ति दाता , बुद्धि विधाता सुन लो विनय हमारी |
जय अधिनायक सिद्धि विनायक ओ भक्तन के हितकारी ||

तेरे बिन कार्य नहीं होते , ओ मेरे विघ्न विनाशक |
दुनिया के ओ स्वामी है तेरे , सबसे ज्यादा उपासक ||
तेरे दर आकर सब टेर लगाते , राजा रंक भिखारी |
जय अधिनायक सिद्धि विनायक भक्तन के हितकारी ||

तुम हो रक्षक तुम हो दाता , हो तुम ही भाग्य विधाता |
अपने भक्तो से हरपल तुम रखते , सबसे ऊंचा नाता ||
हम सब मिल उतारे आरती, ओ प्रभु रात दिन तुम्हारी |
जय अधिनायक सिद्धि विनायक भक्तन के हितकारी ||

राम और ‘श्याम’ सब आयेंगे मिलकर खुशी मनाएंगे |
ढोलक और मंजीरो की धुन पर नाचेंगे और गायेंगे ||
हम कृतज्ञ तुम्हारे भक्ति दाता ,चरणों पर बलिहारी |
जय अधिनायक सिद्धि विनायक भक्तन के हितकारी ||
|| शोभा दर दरबार की हे गणपति जी महाराज ||

शोभा दर दरबार की हे गणपति जी महाराज |
आये विलोकन भक्त सब , तेरे दर पर आज ||

खुशियों से है भरा , स्वामी तेरा ये दरबार |
गूंजे जिस से हर घड़ी , तेरा जय जयकार ||
भक्तो के प्यार का , है प्रभु तेरे सिर पर ताज |
शोभा दर दरबार की हे गणपति जी महाराज ||

जिसकी तुम पर आस्था हे लम्बोदर भगवान |
तेरे चरणों में ही मिले , उसको सही मुकाम ||
बिन तेरी अनुमति के , न शुरू हो कोई काज |
शोभा दर दरबार की हे गणपति जी महाराज ||

‘श्याम’ खडा दर पर तेरे , करने को गुणगान |
प्रभु, शब्दों में भर दो मेरे , थोड़ी सी ही जान ||
तुम ही मेरा साज हो , प्रभु तुम ही मेरी लाज |
शोभा दर दरबार की हे गणपति जी महाराज ||
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टेग हटाने को कोई भी मित्र अन्यथा न ले....जो भी मित्र अपनी वाल पर ...भजन और तस्वीर चाहते हैं...वो यहाँ जयकारा लगाए और इसे अपनी वाल पर शेयर कर ले...क्योकि टेग अन्य मित्रों को जिन्होंने अभी तक यह रचना नहीं पढ़ी ..उनको टेग करने के लिए चाहिए होते हैं....साथ ही जो मित्र चाहते है कि...उन्हें भक्ति सागर में टेग न किया जाए ...वो भी निसंकोच ....कह दे..उन्हें उसके बाद टेग नहीं किया जायेगा.....

धन्यवाद ..
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|| शोभा दर दरबार की हे गणपति जी महाराज ||

शोभा दर दरबार की हे गणपति जी महाराज |
आये विलोकन भक्त सब , तेरे दर पर आज ||

खुशियों से है भरा , स्वामी तेरा ये दरबार |
गूंजे जिस से हर घड़ी , तेरा जय जयकार ||
भक्तो के प्यार का , है प्रभु तेरे सिर पर ताज |
शोभा दर दरबार की हे गणपति जी महाराज ||

जिसकी तुम पर आस्था हे लम्बोदर भगवान |
तेरे चरणों में ही मिले , उसको सही मुकाम ||
बिन तेरी अनुमति के , न शुरू हो कोई काज |
शोभा दर दरबार की हे गणपति जी महाराज ||

‘श्याम’ खडा दर पर तेरे , करने को गुणगान |
प्रभु, शब्दों में भर दो मेरे , थोड़ी सी ही जान ||
तुम ही मेरा साज हो , प्रभु तुम ही मेरी लाज |
शोभा दर दरबार की हे गणपति जी महाराज ||
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टेग हटाने को कोई भी मित्र अन्यथा न ले....जो भी मित्र अपनी वाल पर ...भजन और तस्वीर चाहते हैं...वो यहाँ जयकारा लगाए और इसे अपनी वाल पर शेयर कर ले...क्योकि टेग अन्य मित्रों को जिन्होंने अभी तक यह रचना नहीं पढ़ी ..उनको टेग करने के लिए चाहिए होते हैं....साथ ही जो मित्र चाहते है कि...उन्हें भक्ति सागर में टेग न किया जाए ...वो भी निसंकोच ....कह दे..उन्हें उसके बाद टेग नहीं किया जायेगा.....

धन्यवाद ..
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|| ओ भक्ति दाता , बुद्धि विधाता भक्तन के हितकारी ||

ओ भक्ति दाता , बुद्धि विधाता सुन लो विनय हमारी |
जय अधिनायक सिद्धि विनायक ओ भक्तन के हितकारी ||

तेरे बिन कार्य नहीं होते , ओ मेरे विघ्न विनाशक |
दुनिया के ओ स्वामी है तेरे , सबसे ज्यादा उपासक ||
तेरे दर आकर सब टेर लगाते , राजा रंक भिखारी |
जय अधिनायक सिद्धि विनायक भक्तन के हितकारी ||

तुम हो रक्षक तुम हो दाता , हो तुम ही भाग्य विधाता |
अपने भक्तो से हरपल तुम रखते , सबसे ऊंचा नाता ||
हम सब मिल उतारे आरती, ओ प्रभु रात दिन तुम्हारी |
जय अधिनायक सिद्धि विनायक भक्तन के हितकारी ||

राम और ‘श्याम’ सब आयेंगे मिलकर खुशी मनाएंगे |
ढोलक और मंजीरो की धुन पर नाचेंगे और गायेंगे ||
हम कृतज्ञ तुम्हारे भक्ति दाता ,चरणों पर बलिहारी |
जय अधिनायक सिद्धि विनायक भक्तन के हितकारी ||

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